
NRI Herald
फिर मौन से मेरा परिचय हुआ
Updated: Aug 15, 2021
लोकेश शर्मा जी द्वारा दूरद्रष्टायों और आध्यात्मिक पाठको के लिए रचित कविता - NRI हेराल्ड हिन्दी ऑस्ट्रेलिया द्वारा प्रकाशित, 30 July 2021
एकांत में, अनभिज्ञ सा मैं मौन हुआ ,
अनियंत्रित मन के पटल पर विचार आगमन हुए ,
अनायास ही स्वयं से ये प्रश्न हुआ ,
कि … तू कौन हुआ ?
निशब्द सा वीरान स्तब्ध तब, वाणी को विश्राम हुआ ,
हैं मंत्र, सब मानव रचित, ऐसा कुछ प्रतीत जान हुआ ।
नयन मूँद यूँ बैठा ,तो केवल श्वासों का ही श्रवण हुआ ,
क्षण का, ना पल का, ना कुछ समय का भान हुआ ।
शांत ठहर स्थिर हो, सब स्वाहा अंतर अभिमान हुआ ,
अकस्मात् ही एक शून्यता का सा अनुमान हुआ ।
और जीवन के समीकरणों का कुछ सरल सा समाधान हुआ ,
चित अटल शिला समान हो, स्वयं में ही स्वयं का स्नान हुआ ,
मौन से मेरे अनुभव का यूँ ये पूर्णविराम हुआ ।
उपरांत एक गहन चिंतन के शब्द कुछ फिर परिभाषित हुए :
कि ये क्यूँ हुआ ?
नित नियम, कर्म है,
एकाग्रता, अभ्यास है,
मौन, मंत्र है,
श्वास, माला है,
आरती, वंदन है ,
मन, तीर्थ है ,
विचार, यात्री हैं,
घंट नाद, शंखनाद, चेतना है,
आत्मा, शिव है ,
प्राण, ज्योति है,
ध्यान, समाधि है,
अनुभव, मुक्ति हैं ,
अंत शून्य है, अंत शून्य है।

लोकेश शर्मा जी की पैदाइश दिल्ली और स्कूली शिक्षा हिमाचल प्रदेश की राजकीय पाठशाला से हिंदी माध्यम में प्राथमिक एवम् वरिष्ठ माध्यमिक शिक्षा से है, उसके उपरांत औषधी विज्ञान में स्नातक प्राप्त करके उसी क्षेत्र में ऑस्ट्रेलिया में एक मल्टीनैशनल फार्मा कंपनी में कार्यरत हैं , स्वयं को एक भाषा प्रेमी मानते हैं, हिंदी, उर्दू, डोगरी, बंगाली, हरियाणवी, पंजाबी बखूबी बोल लेते हैं. शब्दों का विश्लेषण कर भाषा को समजने का प्रयास करना पसंद है , मानते है, संस्कृत के ही शब्द हर भाषा में मिलते हैं. गीता ज्ञान को जीवन का मार्ग दर्शक बना के आगे बड़ते है.