
NRI Herald
निर्णय रहा फिर अडिग कर्ण का
Updated: Oct 15, 2021
लोकेश शर्मा जी द्वारा रचित कविता - NRI हेराल्ड हिन्दी ऑस्ट्रेलिया द्वारा प्रकाशित, 4 August 2021
युद्ध टले अब कैसे ?
कह रहे ये युक्ति,
कृष्ण, अब कर्ण से !
हे कुंती नंदन कर्ण ,
राज मिलेगा
भोग मिलेगा
पांडवो का सहयोग मिलेगा
और काल युद्ध का टलेगा !
हे वसुदेव,
है ऋण-
और है उपकार दुर्योधन का,
मेरे जीवन पर है अधिकार ,
अब दुर्योधन का ।
अतः मुझे मेरा कर्म निभाना होगा,
और दुर्योधन के ही पक्ष में जाना होगा !
किंतु हे केशव !
धर्म की विजय सुनिश्चित है ,
और मेरी मृत्यु निश्चित है ,
रहेंगे पांडव पाँच ही ,
ये ही विधि के विधान से उचित है !
अटल था निश्चय कर्ण का ,
था योद्धा अविचल प्रण का !
देख इंद्र भी हुआ चिंतित ,
माँग कवच-कुंडल ले गया,
कर व्यापार वो ,
शक्ति अस्त्र दे गया ।
किंतु वचन दानवीर का स्थिर
ना था विचलित
ना वो डिगा किंचित !
माँ कुंती भी भिक्षा माँग रही,
पांडवों के प्राणों की !
बाँध रही फिर ममता,
गति कर्ण के बाणों की !
‘औरो को’ प्राण दान दूँगा
किंतु
अर्जुन होगा
या कर्ण होगा !
बस यही निर्णय
अब रण में होगा !
बस यही निर्णय
अब रण में होगा !

लोकेश शर्मा जी की पैदाइश दिल्ली और स्कूली शिक्षा हिमाचल प्रदेश की राजकीय पाठशाला से हिंदी माध्यम में प्राथमिक एवम् वरिष्ठ माध्यमिक शिक्षा से है, उसके उपरांत औषधी विज्ञान में स्नातक प्राप्त करके उसी क्षेत्र में ऑस्ट्रेलिया में एक मल्टीनैशनल फार्मा कंपनी में कार्यरत हैं , स्वयं को एक भाषा प्रेमी मानते हैं, हिंदी, उर्दू, डोगरी, बंगाली, हरियाणवी, पंजाबी बखूबी बोल लेते हैं. शब्दों का विश्लेषण कर भाषा को समजने का प्रयास करना पसंद है , मानते है, संस्कृत के ही शब्द हर भाषा में मिलते हैं. गीता ज्ञान को जीवन का मार्ग दर्शक बना के आगे बड़ते है.