
NRI Herald
जय हिंद की जयकार।
लोकेश शर्मा जी की भारत के 75वे स्वतंत्रता दिवस पर रचित कविता - NRI हेराल्ड हिन्दी ऑस्ट्रेलिया द्वारा प्रकाशित, 15 August 2021
जय हिंद की जयकार
मैं इसे लेकर रहूँगा,
स्वतंत्रता मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है ,
ये लोकमान्य तिलक की पुकार है !
मेरी मातृभूमि में ही मुझे मिले जन्म हर बार ,
तुम मुझे खून दो,
मैं तुम्हें आज़ादी दूँगा,
कहे सुभाष ललकार !
अंग्रेजो को दे चुनौती ,
आज़ाद हिंद फ़ौज को किया तैयार ,
थे हर जाति - धर्म के लोग तो,
जय हिंद का किया जयकार !
मात्र २३ की आयु थी ,
और देशप्रेम की उठी पुकार ,
इंक़लाब ज़िंदाबाद -
लिख गया भगत सिंह का लहू उबाल मार !
वो शेखर आज़ाद की ये बानी -
खून नही वो पानी है,
जो काम ना आए देश के,
वो व्यर्थ जवानी है !
आज़ादी नही मिलती बिन दिए बलिदान ,
कई लड़े ,
कई सूली चढ़े ,
कई रह गये गुमनाम !
सूनो ,भारत के लोगों ,
खूब मना लो आज़ादी ,
वो दे गए ये इनाम ,
वो दे गए ये इनाम !
जय हिंद !

लोकेश शर्मा जी की पैदाइश दिल्ली और स्कूली शिक्षा हिमाचल प्रदेश की राजकीय पाठशाला से हिंदी माध्यम में प्राथमिक एवम् वरिष्ठ माध्यमिक शिक्षा से है, उसके उपरांत औषधी विज्ञान में स्नातक प्राप्त करके उसी क्षेत्र में ऑस्ट्रेलिया में एक मल्टीनैशनल फार्मा कंपनी में कार्यरत हैं , स्वयं को एक भाषा प्रेमी मानते हैं, हिंदी, उर्दू, डोगरी, बंगाली, हरियाणवी, पंजाबी बखूबी बोल लेते हैं. शब्दों का विश्लेषण कर भाषा को समजने का प्रयास करना पसंद है , मानते है, संस्कृत के ही शब्द हर भाषा में मिलते हैं. गीता ज्ञान को जीवन का मार्ग दर्शक बना के आगे बड़ते है.