
NRI Herald
तू माणस हरियाणे सै !
लोकेश शर्मा जी द्वारा रचित हरयानवी कविता - NRI हेराल्ड ऑस्ट्रेलिया द्वारा प्रकाशित, 06 November 2021
तेरी खड़ी बोली सै ,
लोग त्ने पहचाणे सै ,
तेरे भोलेपन तै ,
तेरे अखड़पन तै ,
लोग पूछया करे -
के भाई - हो हरियाणे सै ?
तू माणस हरियाणे सै !
ना पहचाणे चालाकी ,
ना जाणे क्या बात सै ,
बात करे कोरी - जमाने सै ,
तू माणस हरियाणे सै !
क़ब्बड्डी
अखाड़ा
आर मलखंब
माहरे गाम के खेल सै
शहर के लोग समझा करे
सारे हरियाणे के ही पहलवान सै
तू माणस हरियाणे सै !
तिरंगा ऊँचा राखे सै
चाहे मरना पड़े बॉर्डर पे
या काटनी पड़े विदेशी ठाणे में
तू माणस हरियाणे सै !
डोल बाजण की आवाज़ पर ,
दंगल खड़ा हो ,
माटी का धुला- देह पर चढ़ा हो ,
अखाड़े में सीर धरती में गढ़ा हो ,
हो वीर बजरंग पुनिया और रवि दहिया जैसा ,
आर हरियाणे की माटी का तिलक माथे पर जड्डा हो ,
है यो पहलवान फेर हरियाणे सै !
तू माणस हरियाणे सै !
तू माणस हरियाणे सै !

लोकेश शर्मा का जन्म दिल्ली में तथा विद्दालयी शिक्षण-प्रशिक्षण हिमाचल प्रदेश में हुआ। तत्पश्चात स्नातकोत्तर शिक्षा औषधि विज्ञान में कर, इसी क्षेत्र पर आस्ट्रेलियाई कंपनी में कार्यरत हैं।
संस्कृत, संस्कृती, अध्यात्म दर्शन में रूचि अपने माता पिता और परिवार के सानिध्य से हुई। लोकेश, स्वयं को भाषा प्रेमी मानते हैं और कई भारतीय भाषाएं सुगमता से बोलते हैं। शब्दों का विश्लेषण कर भाषा को समझने का प्रयास करते है। मानते हैं कि संस्कृत भाषा के ही शब्द हर भाषा में मिलते है। गीता ज्ञान को जीवन का मार्ग दर्शक मानते हैं।