
NRI Herald
शिवलिंग का उपहास उड़ाने वाले भारत में रहने वाले मलेच्छों के जाल में ना फंसे, बल्कि अपना ज्ञान बढ़ाये!
NRI Herald Australia के लेखक की निजी राय , 24 May 2022

सोशल मीडिया पर लगातार देखा जा रहा है कि शिवलिंग पर लगातार कटाक्ष करते हुए तमाम लोगों द्वारा यह सवाल उठाया जा रहा है कि शिवलिंग शंकर भगवान के शरीर का कौन सा हिस्सा है, सवाल आहत करता जरूर है लेकिन फिर सोचता हूँ कि अगर सब ज्ञानी हो जाएंगे तो इस धरा का क्या होगा, विडंबना यह है कि शिवलिंग का मजाक मुस्लिम वर्ग नहीं अपितु हिन्दू वर्ग उड़ाने में जुट गया है इन्हीं में कुछ मुस्लिम भी अपना ज्ञान वर्धन करना चाह रहे और लिंग रूप को समझना चाह रहे तो ये सभी के लिए है।
शिवलिंग महादेव के शरीर का कोई हिस्सा नहीं अपितु सम्पूर्ण उनका रूप है, शिवलिंग शरीर का अंग नहीं बल्कि शिव का प्रतीक है। जैसे पुल्लिंग का मतलब पुरुष और स्त्रीलिंग का मतलब स्त्री होता है उसी प्रकार शिवलिंग का मतलब शिव का प्रतीक है। लिंग की उपमा शरीर के हिस्से से नहीं बल्कि एक प्रतीक तौर पर लीजिये, और यही सत्य है।
रही बात शिव लिंग के रूप की तो शिव के रूप अनंत है, शिव अनादि है। उनके रूप को मानुष मात्र क्या समझ पायेगा, त्र्यंबकेश्वर में अलग रूप है काशी में अलग रूप है, केदारनाथ में अलग रूप है। शिवलिंग स्वयं में ऊर्जा का प्रतीक है, सनातन धर्म मान्यता है कि कण कण में शिव का वास है इसीलिए शिवलिंग प्रतीकात्मक है।
शिव लिंग को यह समझना कि भगवान शिव के लिंग की पूजा की जाती है तो फिर आप अज्ञानी है अथवा किसी मानसिक दुर्भावना से ग्रसित है। शिवलिंग का रहस्य समझने की शक्ति किसी में नहीं है, शिव अध्यात्म का वह स्त्रोत है जिसमें सब कुछ समाहित है, शिव ही ज्ञान है शिव ही नृत्य है शिव ही सब कुछ है और उन्हीं शिव पर कटाक्ष वह भी अल्पज्ञान के कारण। रावण भी जब शिव की पूजा करता था तो जिन स्थानों पर उसे प्रभु की पूजा करनी होती थी वह उनका प्रतीक निर्मित कर पूजा करता था जिसका उल्लेख भी "लिंग थापि विधिवत कर पूजा, शिव समान मोहि प्रिय न दूजा"
कोई शिवलिंग में छेद ढूंढ रहा कोई उसकी बनावट का उपहास उड़ा रहा अजीब है यार लोग, अरे भाई हमारी आस्था शिव में है, थी और रहेगी। जिन्हें मानना है वह माने जिन्हें नहीं मानना न माने लेकिन उपहास उगाइयेगा तो ये गलत है। न्यायालय निर्धारित करेगा कि क्या मिला है क्या नहीं, क्या गलत है क्या सही, लेकिन उसके पहले महादेव एक ऐसा निरादर कदापि उचित नहीं है।
शिव परम ज्ञान है, लोक आस्था का विषय है|