
NRI Herald
कहे अर्धकवि पाठन स्वयं का
लोकेश शर्मा जी द्वारा रचित कविता - NRI हेराल्ड हिन्दी ऑस्ट्रेलिया द्वारा प्रकाशित, 1 August 2021

शब्द, वाक्यों की पंक्ति में स्थान सुशोभित तो हैं,
पाठ्यक्रम के विषय अनुसार विश्लेषित भी हैं ,
मन की पाठशाला के श्यामपट्ट पर सुलेखित भी हैं ।
चिंतित हूँ कि कक्षा में अनुशासित है कि नहीं है !
त्रुटियों का सूचीकरण है करना ।
अध्ययन अभी इतना ज्ञापित नहीं हैं ।
विद्यार्थी हूँ स्वयं की कक्षा का,
सौभाग्य गुरुकुल में मिला नहीं है ।
आनंदित हूँ कि काव्य मनन,
एक मानसिक व्यायाम - सा ही है ।
मधुर - सा बालपन पाठ लेखन के प्रांगण में अभी है,
यद्यपि चिह्ण के विराम को विश्राम कहीं है,
कहीं नहीं है !
अतः कदाचित् असफल, अभी होना है बार - बार !
प्रयत्न किंतु रुका नहीं है !
निपुणता है, अभी दूर कहीं !
अभी तो परीक्षा में उत्तीर्ण भी हुआ नही हूँ ।
स्वर, व्यंजन, उपसर्ग, मात्रा को,
शब्द में पिरोना है वहीं ।
वाक्य बन प्रयोग तब कविता में होगा कहीं ।
परिपक्वता अभी आधी है,
कहीं अर्ध,
तो कहीं पूर्णविराम नहीं है ।
हूँ अभी एकादश का चंद्रमा,
अभी हुई मेरी पूर्णिमा नहीं है ।
अभी हुई मेरी पूर्णिमा नहीं है ।

लोकेश शर्मा जी की पैदाइश दिल्ली और स्कूली शिक्षा हिमाचल प्रदेश की राजकीय पाठशाला से हिंदी माध्यम में प्राथमिक एवम् वरिष्ठ माध्यमिक शिक्षा से है, उसके उपरांत औषधी विज्ञान में स्नातक प्राप्त करके उसी क्षेत्र में ऑस्ट्रेलिया में एक मल्टीनैशनल फार्मा कंपनी में कार्यरत हैं , स्वयं को एक भाषा प्रेमी मानते हैं, हिंदी, उर्दू, डोगरी, बंगाली, हरियाणवी, पंजाबी बखूबी बोल लेते हैं. शब्दों का विश्लेषण कर भाषा को समजने का प्रयास करना पसंद है , मानते है, संस्कृत के ही शब्द हर भाषा में मिलते हैं. गीता ज्ञान को जीवन का मार्ग दर्शक बना के आगे बड़ते है.