
NRI Herald
तब करोना नही होता था !
रीता राजपूत जी द्वारा रचित - NRI हेराल्ड हिन्दी द्वारा प्रकाशित , 21 July 2021

हीर बेटी दूसरे की , प्यारी थी हमको
तनया ही मानते थे ,’मान’ देते सबको
बहु-बेटी-बहनों का, ‘जब’ रोना नही होता था
सच कहूँ …बंधु ! ‘तब’ करोना नही होता था ।
शादी हो किसी की चाहे , उत्सव कोई होता था
खान-पान साथ होता , भूखा ना कोई सोता था ।
हेल- मेल आपस में , रंग - संग होता था
सच कहूँ…बंधु ! तब करोना नही होता था !
चींटी को भी मारना , जब पाप समझा जाता था
पशु पर भी वार , अत्याचार समझा जाता था ।
प्यार - प्रेम का ही जब , बोलबाल होता था
सच कहूँ बंधु ! तब करोना नही होता था ।
पेड़ - पौधों में भी जब ,प्राण समझे जाते थे
कुदरत पर घात , आघात समझे जाते थे ।
प्रकृति -संरक्षण का ,जब रोना नहीं होता था
सच कहूँ … बंधु ! तब करोना नहीं होता था ।
धरती का मान , स्वाभिमान हुआ करता था
देशहित में प्राण देना , शान हुआ करता था ।
जाति भेदभाव का जब, रोना नहीं होता था
क्या कहूँ …बंधु ! तब करोना नही होता था ।
लेकिन आज —
विज्ञान की दौड़ , सबके सिर चढ़ के बोलती है
स्वार्थ की छाया , बस लाभ- हानि तोलती है ।
असुरों से हीन, आज ‘मानव के काम’ हैं
बेच डाली आत्मा ‘औ ‘ ले रहा वह जान है ।
धरा भी विदीर्ण कर दी मानव की लिप्सा ने
करोना को ले आया , प्रगति की इच्छा में ।
पहले बीज दहशत के, खुद ही , तो रोपता है
देवकृपा होगी कब ? हरदम अब सोचता है !

रीता राजपूत जी दो दशक से भी ज्यादा हिन्दी की अध्यापिका और DPS इंदिरापुरम, दिल्ली NCR में हिन्दी की विभागाध्यक्ष (HOD) के रूप में अपनी सेवा प्रदान कर चुकी है | हजारों छात्रों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के बाद, रीता जी ने व्यवसाय की दुनिया मे कदम रखा और परिणामस्वरूप आजकल रीता जी Neeta Polycots जोकि एक अन्तर्राष्ट्रीय कपड़ा उत्पादन कंपनी है उसमे मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) के रूप मे कार्यरत है.